HISTORY OF MEENA (मीणाओं का इतिहास ) by sukhdev bainada
HISTORY OF MEENA
SUKHDEV BAINADA (TODABHIM)
मीणा मुख्यतया भारत के राजस्थान राज्य में निवास करने वाली एक जाति]] है। मीणा जाति भारतवर्ष की प्राचीनतम जातियों में से मानी जाती है । वेद पुराणों के अनुसार मीणा जाति मत्स्य(मीन) भगवान की वंशज है। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज जहां एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर कात्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। मीणा जाति का गणचिह्न मीन (मछली) था। मछली को संस्कृत में मत्स्य कहा जाता है। प्राचीनकाल में मीणा जाति के राजाओं के हाथ में वज्र तथा ध्वजाओं में मत्स्य का चिह्न अंकित होता था, इसी कारण से प्राचीनकाल में मीणा जाति को मत्स्य माना गया। प्राचीन ग्रंथों में मत्स्य जनपद का स्पष्ट उल्लेख है जिसकी राजधानी विराट नगर थी,जो अब जयपुर वैराठ है। इस मस्त्य जनपद में अलवर,भरतपुर एवं जयपुर के आस-पास का क्षेत्र शामिल था। आज भी मीणा लोग इसी क्षेत्र में अधिक संख्या में रहते हैं। मीणा जाति के भाटों(जागा) के अनुसार मीणा जाति में 12 पाल,32 तड़ एवं 5248 गौत्र हैं।मध्य प्रदेश के भी लगभग २३ जिलो मे मीणा समाज निबास करता है ।
मूलतः मीना एक सत्तारूढ़ [जाति]] थे, और मत्स्य, यानी, राजस्थान या मत्स्य संघ के शासक थे,लेकिन उनका पतन आत्मसात से शुरू हुआ और पूरा जब ब्रिटिश सरकार ने उन्हे "आपराधिक जाति" मे दाल दिया।.यह कार्रवाई, राजस्थान में राजपूत राज्य के साथ उनके गठबंधन के समर्थन मे लिया गया था।
मीणा राजा आमेर (जयपुर) सहित राजस्थान के प्रमुख भागों के प्रारंभिक शासक थे।पुस्तक 'संस्कृति और भारत जातियों की एकता "RSMann द्वारा कहा गया है कि मीना, राजपूतों के समान एक क्षत्रिय जाति के रूप में मानी जाती है।प्राचीन समय में राजस्थान मे मीना वंश के राजाओ का शासन था। मीणा राज्य मछली (राज्य) कहा जाता था। संस्कृत में मत्स्य राज्य का ऋग्वेद में उल्लेख किया गया था. बाद में भील और मीना, (विदेशी लोगों) या अन्य मध्य एशियाई गुटों के साथ आए लोगों के साथ मिश्रित हुए। मीना मुख्य रूप से मीन भगवान और (शिव) कि पुजा करते है। मीनाओ मे कई अन्य हिंदू जाति की तुलना में महिलाओं के लिए बेहतर अधिकार हैं। विधवाओं और तलाकशुदा का पुनर्विवाह एक आम बात है और अच्छी तरह से अपने समाज में स्वीकार कर लिया है। इस तरह के अभ्यास वैदिक सभ्यता का हिस्सा हैं। आक्रमण के वर्षों के दौरान,और १८६८ के भयंकर अकाल में,तबाही के तनाव के तहत अनेक समुह बने। इसके परिणाम के रूप मे भूखे परिवारों को जाति और ईमानदारी का परित्याग करके पशु चोरी और उन्हें खाने के लिए मजबूर होना परा। अनेक इतिहासकारों के अनुसार राजस्थान की मीना जनजाति स्वाभिमान से जीने वाले और जल जंगल जमीन की रक्षा करने वाली कौम है। कालांतर मे धीरे धीरे मीनाओ का हिन्दुत्व वादी विचारधारा की और झुकाव बढ़ता गया और इसका नुकसान ये हुआ की इनकी आंतरिक एकता का विखंडन होने लगा और इनका प्रक्रती के प्रति झुकाव कम होने लगा और ये अपनी जंजातीय रीतिरिवाजों और परम्पराओ को त्यागते हुए आधुनिकता की चपेट मे आने लग गए। पिछले 2 दशक से पहले के मीणा सरदारों और वर्तमान मीणा नेताओ और पटेलों के निर्णय, रीतिरिवाज , वेषभूषा , बोलचाल, रहन सहन आदि मे बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलता है, जिसका असर ये हुआ की अपनी कौम के बड़े लोगों से प्रेरित होकर समस्त मीणा जनजाति एक अलग ही दिशा की ओर अग्रसर है जिससे उनके पूर्वजों का अस्तित्व धीरे धीरे बिखरता जा रहा है। उन्हे अपने पूर्वजों की रुडियों , परम्पराओं, संस्कृति , किले , बावड़िया , गढ़ और पुरखों की विभिन्न धरोहरों का संरक्षण करना चाहिए और उन्हे सँजो के रखना चाहिए।
अनुक्रम |
वर्ग
मीणा जाति प्रमुख रूप से निम्न वर्गों में बंटी हुई है
- जमींदार या पुरानावासी मीणा : जमींदार या पुरानावासी मीणा वे हैं जो प्रायः खेती एवं पशुपालन का कार्य बर्षों से करते आ रहे हैं। ये लोग राजस्थान के सवाईमाधोपुर,करौली,दौसा व जयपुर जिले में सर्वाधिक हैं|
- चौकीदार या नयाबासी मीणा : चौकीदार या नयाबासी मीणा वे मीणा हैं जो अपनी स्वछंद प्रकृति के कारण चौकीदारी का कार्य करते थे। इनके पास जमींने नहीं थीं, इस कारण जहां इच्छा हुई वहीं बस गए। उक्त कारणों से इन्हें नयाबासी भी कहा जाता है। ये लोग सीकर, झुंझुनू, एवं जयपुर जिले में सर्वाधिक संख्या में हैं।
- प्रतिहार या पडिहार मीणा : इस वर्ग के मीणा टोंक, भीलवाड़ा, तथा बूंदी जिले में बहुतायत में पाये जाते हैं। प्रतिहार का शाब्दिक अर्थ उलट का प्रहार करना होता है। ये लोग छापामार युद्ध कौशल में चतुर थे इसलिये प्रतिहार कहलाये।
- रावत मीणा : रावत मीणा अजमेर, मारवाड़ में निवास करते हैं।
- भील मीणा : ये लोग सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं चित्तोड़गढ़ जिले में प्रमुख रूप से निवास करते हैं।
मीणा जाति के प्रमुख राज्य निम्नलिखित थे
- खोहगंग का चांदा राजवंश
- मांच का सीहरा राजवंश
- गैटोर तथा झोटवाड़ा के नाढला राजवंश
- आमेर का सूसावत राजवंश
- नायला का राव बखो [beeko] देवड़वाल [द॓रवाल] राजवंश
- नहाण का गोमलाडू राजवंश
- रणथम्भौर का टाटू राजवंश
- नाढ़ला का राजवंश
- बूंदी का ऊसारा राजवंश
- मेवाड़ का मीणा राजवंश
- माथासुला ओर नरेठका ब्याड्वाल
- झान्कड़ी अंगारी (थानागाजी) का सौगन मीना राजवंश
प्रचीनकाल में मीणा जाति का राज्य राजस्थान में चारों ओर फ़ैला हुआ था|
मीणा राजाओं द्वारा निर्मित प्रमुख किले
- आमागढ़ का किला
- हथरोई का किला
- खोह का किला
- जमवारामगढ़ का किला
मीणा राजाओं द्वारा निर्मित प्रमुख बाबड़ियां
- भुली बाबड़ी ग्राम सरजोली
- मीन भग्वान बावदी,सरिस्का,अल्वर्
- पन्ना मीणा की बाबड़ी,आमेर
- खोहगंग की बाबड़ी,जयपुर
मीणा राजाओं द्वारा निर्मित प्रमुख मंदिर :
- दांतमाता का मंदिर, जमवारामगढ़- सीहरा मीणाओं की कुल देवी
- शिव मंदिर, नई का नाथ, बांसखो,जयपुर,नई का नाथ,mean bagwan the. bassi बांसखो,जयपुर
- मीन भग्वान मन्दिर्,बस्सि,जयपुर्
- बांकी माता का मंदिर,टोडा का महादेव,सेवड माता -ब्याडवाल मीणाओं का
- बाई का मंदिर, बड़ी चौपड़,जयपुर
- मीन भगवान का मंदिर, मलारना चौड़,सवाई माधोपुर (राजस्थान)
- मीन भगवान का भव्य मंदिर, चौथ का बरवाड़ा,सवाई माधोपुर (राजस्थान)
- मीन भगवान का मंदिर, खुर्रा,लालसोट, दौसा (राजस्थान)
आमेर रोड पर परसराम द्वारा के पिछवाड़े की डूंगरी पर विराजमान वरदराज विष्णु की एतिहासिक मूर्ति को साहसी सैनिक हीदा मीणा दक्षिण के कांचीपुरम से लाया था। मूर्ति लाने पर मीणा सरदार हीदा के सम्मान में सवाई जयसिंह ने रामगंज चौपड़ से सूरजपोल बाजार के परकोटे में एक छोटी मोरी का नाम हीदा की मोरी रखा। उस मोरी को तोड़ अब चौड़ा मार्ग बना दिया लेकिन लोगों के बीच यह जगह हीदा की मोरी के नाम से मशहूर है। देवर्षि श्री कृष्णभट्ट ने ईश्वर विलास महाकाव्य में लिखा है, कि कलयुग के अंतिम अश्वमेध यज्ञ केलिए जयपुर आए वेदज्ञाता रामचन्द्र द्रविड़, सोमयज्ञ प्रमुखा व्यास शर्मा, मैसूर के हरिकृष्ण शर्मा, यज्ञकर व गुणकर आदि विद्वानों ने महाराजा को सलाह दी थी कि कांचीपुरम में आदिकालीन विरदराज विष्णु की मूर्ति के बिना यज्ञ नहीं हो सकता हैं। यह भी कहा गया कि द्वापर में धर्मराज युधिष्ठर इन्हीं विरदराज की पूजा करते था। जयसिंह ने कांचीपुरम के राजा से इस मूर्ति को मांगा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। तब जयसिंह ने साहसी हीदा को कांचीपुरम से मूर्ति जयपुर लाने का काम सौंपा। हीदा ने कांचीपुरम में मंदिर के सेवक माधवन को विश्वास में लेकर मूर्ति लाने की योजना बना ली। कांचीपुरम में विरद विष्णु की रथयात्रा निकली तब हीदा ने सैनिकों के साथ यात्रा पर हमला बोला और विष्णु की मूर्ति जयपुर ले आया। इसके साथ आया माधवन बाद में माधवदास के नाम से मंदिर का महंत बना। अष्टधातु की बनी सवा फीट ऊंची विष्णु की मूर्ति के बाहर गण्शोजी व शिव पार्वती विराजमान हैं। सार संभाल के बिना खन्डहर में बदल रहे मंदिर में महाराजा को दर्शन का अधिकार था। अन्य लोगों को महाराजा की इजाजत से ही दर्शन होते थै। महंत माधवदास को भोग पेटे सालाना 299 रुपए व डूंगरी से जुड़ी 47 बीघा 3 बिस्वा भूमि का पट्टा दिया गया । महंत पं. जयश्रीकृष्ण शर्मा के मुताबिक उनके पुरखा को 341 बीघा भूमि मुरलीपुरा में दी थी जहां आज विधाधर नगर बसा है। अन्त्या की ढाणी में 191 बीघा 14 बिस्वा भूमि पर इंडियन आयल के गोदाम बन गए।
नोट:- मीणा जाति के इतिहास की विस्तॄत जानकारी हेतु लेखक श्री लक्ष्मीनारायण झरवाल की पुस्तक "मीणा जाति और स्वतंत्रता का इतिहास" अवश्य पढ़े।
मध्ययुगीन इतिहास
प्राचहिन समय मे मीणा राजा आलन सिंह ने,एक असहाय राजपूत माँ और उसके बच्चे को उसके दायरे में शरण दि। बाद में, मीणा राजा ने बच्चे, ढोलाराय को दिल्ली भेजा,मीणा राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए। राजपूत ने इस्एहसान के लिए आभार मे राजपूत सणयन्त्रकारिओ के साथ आया और दीवाली पर निहत्थे मीनाओ कि लाशे बिछा दि,जब वे पित्र तर्पन रस्में कर रहे थे।मीनाओ को उस् समय निहत्था होना होता था। जलाशयों को"जो मीनाऔ के मृत शरीर के साथ भर गये। "[Tod.II.281] और इस प्रकार कछवाहा राजपूतों ने खोगओन्ग पर विजय प्राप्त की थी,सबसे कायर हर्कत और राजस्थान के इतिहास में शर्मनाक।
एम्बर के कछवाहा राजपूत शासक भारमल हमेशा नह्न मीना राज्य पर हमला करता था, लेकिन बहादुर बड़ा मीणा के खिलाफ सफल नहीं हो सका। अकबर ने राव बड़ा मीना को कहा था,अपनी बेटी कि शादी उससे करने के लिए। बाद में भारमल ने अपनी बेटी जोधा की शादी अकबर से कर दि। तब अकबर और भारमल की संयुक्त सेना ने बड़ा हमला किया और मीना राज्य को नस्त कर दिया। मीनाओ का खजाना अकबर और भारमल के बीच साझा किया गया था। भारमल ने एम्बर के पास जयगढ़ किले में खजाना रखा ।
कुछ अन्य तथ्य
कर्नल जेम्स- टॉड के अनुसार कुम्भलमेर से अजमेर तक की पर्वतीय श्रृंखला के अरावली अंश परिक्षेत्र को मेरवाड़ा कहते है । मेर+ वाड़ा अर्थात मेरों का रहने का स्थान । कतिपय इतिहासकारों की राय है कि " मेर " शब्द से मेरवाड़ा बना है । यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या मेर ही रावत है । कई इतिहासकारो का कहना है किसी समय यहां विभिन्न समुदायो के समीकरण से बनी 'रावत' समुदाय का बाहुल्य रहा है जो आज भी है । कहा यह भी जाता है कि यह समुदाय परिस्थितियों और समय के थपेड़ों से संघर्ष करती कतिपय झुंझारू समुदायों से बना एक समीकरण है । सुरेन्द्र अंचल अजमेर का मानना है कि रावतों का एक बड़ा वर्ग मीणा है या यो कह लें कि मीणा का एक बड़ा वर्ग रावतों मे है । लेकिन रावत समाज में तीन वर्ग पाये जाते है -- 1. रावत भील 2. रावत मीणा और 3. रावत राजपूत । रावत और राजपूतो में परस्पर विवाह सम्बन्ध के उदाहरण मुश्किल से हि मिल पाए । जबकि रावतों और मीणाओ के विवाह होने के अनेक उदाहरण आज भी है । श्री प्रकाश चन्द्र मेहता ने अपनी पुस्तक " आदिवासी संस्कृति व प्रथाएं के पृष्ठ 201 पर लिखा है कि मेवात मे मेव मीणा व मेरवाड़ा में मेर मीणाओं का वर्चस्व था।
महाभारत के काल का मत्स्य संघ की प्रशासनिक व्यवस्था लौकतान्त्रिक थी जो मौर्यकाल में छिन्न- भिन्न हो गयी और इनके छोटे-छोटे गण ही आटविक (मेवासा ) राज्य बन गये । चन्द्रगुप्त मोर्य के पिता इनमे से ही थे । समुद्रगुप्त की इलाहाबाद की प्रशस्ति मे आ...टविक ( मेवासे ) को विजित करने का उल्लेख मिलता है राजस्थान व गुजरात के आटविक राज्य मीना और भीलो के ही थे इस प्रकार वर्तमान ढूंढाड़ प्रदेश के मीना राज्य इसी प्रकार के विकसित आटविक राज्य थे ।
वर्तमान हनुमानगढ़ के सुनाम कस्बे में मीनाओं के आबाद होने का उल्लेख आया है कि सुल्तान मोहम्मद तुगलक ने सुनाम व समाना के विद्रोही जाट व मीनाओ के संगठन ' मण्डल ' को नष्ट करके मुखियाओ को दिल्ली ले जाकर मुसलमान बना दिया ( E.H.I, इलियट भाग- 3, पार्ट- 1 पेज 245 ) इसी पुस्तक में अबोहर में मीनाओ के होने का उल्लेख है (पे 275 बही) इससे स्पष्ट है कि मीना प्राचीनकाल से सरस्वती के अपत्यकाओ में गंगा नगर हनुमानगढ़ एवं अबोहर- फाजिल्का मे आबाद थे ।
रावत एक उपाधि थी जो महान वीर योध्दाओ को मिलती थी वे एक तरह से स्वतंत्र शासक होते थे यह उपाधि मीणा, भील व अन्य को भी मिली थी मेर मेरातो को भी यह उपाधिया मिली थी जो सम्मान सूचक मानी जाती थी मुस्लिम आक्रमणो के समय इनमे से काफी को मुस्लिम बना...या गया अतः मेर मेरात मेहर मुसमानो मे भी है ॥ 17 जनवरी 1917 में मेरात और रावत सरदारो की राजगढ़ ( अजमेर ) में महाराजा उम्मेद सिह शाहपूरा भीलवाड़ा और श्री गोपाल सिह खरवा की सभा मेँ सभी लोगो ने मेर मेरात मेहर की जगह रावत नाम धारण किया । इसके प्रमाण के रूप में 1891 से 1921 तक के जनसंख्या आकड़े देखे जा सकते है 31 वर्षो मे मेरो की संख्या में 72% की कमी आई है वही रावतो की संख्या में 72% की बढोत्तर हुई है । गिरावट का कारण मेरो का रावत नाम धारण कर लेना है ।
सिन्धुघाटी के प्राचीनतम निवासी मीणाओ का अपनी शाखा मेर, महर के निकट सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए कहा जा सकता है कि -- सौराष्ट्र (गुजरात ) के पश्चिमी काठियावाड़ के जेठवा राजवंश का राजचिन्ह मछली के तौर पर अनेक पूजा स्थल " भूमिलिका " पर आज भी देखा जा सकता है इतिहासकार जेठवा लोगो को मेर( महर,रावत) समुदाय का माना जाता है जेठवा मेरों की एक राजवंशीय शाखा थी जिसके हाथ में राजसत्ता होती थी (I.A 20 1886 पेज नः 361) कर्नल टॉड ने मेरों को मीना समुदाय का एक भाग माना है (AAR 1830 VOL- 1) आज भी पोरबन्दर काठियावाड़ के महर समाज के लोग उक्त प्राचीन राजवंश के वंशज मानते है अतः हो ना हो गुजरात का महर समाज भी मीणा समाज का ही हिस्सा है । फादर हैरास एवं सेठना ने सुमेरियन शहरों में सभ्यता का प्रका फैलाने वाले सैन्धव प्रदेश के मीना लोगो को मानते है । इस प्राचीन आदिम निवासियों की सामुद्रिक दक्षता देखकर मछलि ध्वजधारी लोगों को नवांगुतक द्रविड़ो ने मीना या मीन नाम दिया मीलनू नाम से मेलुहा का समीकरण उचित जान पड़ता है मि स्टीफन ने गुजरात के कच्छ के मालिया को मीनाओ से सम्बन्धीत बताया है दूसरी ओर गुजरात के महर भी वहां से सम्बन्ध जोड़ते है । कुछ महर समाज के लोग अपने आपको हिमालय का मूल मानते है उसका सम्बन्ध भी मीनाओ से है हिमाचल में मेन(मीना) लोगो का राज्य था । स्कन्द में शिव को मीनाओ का राजा मीनेश कहा गया है । हैरास सिन्धुघाटी लिपी को प्रोटो द्रविड़ियन माना है उनके अनुसार भारत का नाम मौहनजोदड़ो के समय सिद था इस सिद देश के चार भाग थे जिनमें एक मीनाद अर्थात मत्स्य देश था । फाद हैरास ने एक मोहर पर मीना जाती का नाम भी खोज निकाला । उनके अनुसार मोहनजोदड़ो में राजतंत्र व्यवस्था थी । एक राजा का नाम " मीना " भी मुहर पर फादर हैरास द्वारा पढ़ा गया ( डॉ॰ करमाकर पेज न॰ 6) अतः कहा जा सकता है कि मीना जाति का इतिहास बहुत प्राचीन है इस विशाल समुदाय ने देश के विशाल क्षेत्र पर शासन किया और इससे कई जातियो की उत्पत्ती हुई और इस समुदाय के अनेक टूकड़े हुए जो किसी न किसी नाम से आज भी मौजुद है ।
आज की तारीख में 10-11 हजार मीणा लोग फौज में है बुदी का उमर गांव पूरे देश मे एक अकेला मीणो का गांव है जिसमें 7000 की जनसंख्या मे से 2500 फौजी है टोंक बुन्दी जालौर सिरोहि मे से मीणा लोग बड़ी संख्या मे फौज मे है। उमर गांव के लोगो ने प्रथम व द्वीतिय विश्व युध्द लड़कर शहीदहुए थे शिवगंज के नाथा व राजा राम मीणा को उनकी वीरता पर उस समय का परमवीर चक्र जिसे विक्टोरिया चक्र कहते थे मिला था जो उनके वंशजो के पास है । देश आजाद हुआ तब तीन मीणा बटालियने थी पर दूर्भावनावश खत्म कर दी गई थी
तूंगा (बस्सी) के पास जयपुर नरेश प्रतापसिंह और माधजी सिन्धिया मराठा के बीच 1787 मे जो स्मरणिय युध्द हुआ उसमें प्रमुख भूमिका मीणो की रही जिसमे मराठे इतिहास मे पहली बार जयपुर के राजाओ से प्राजित हुए थे वो भी मीणाओ के कारण इस युध्द में राव चतुर और पेमाजी की वीरता प्रशंसनीय रही । उन्होने चार हजार मराठो को परास्त कर मीणाओ ने अपना नाम अमर कर दिया । तूँगा के पास अजित खेड़ा पर जयराम का बास के वीरो ने मराठो को हराया इसके बदले जयराम का बास की जमीन व जयपुर खजाने मे पद दिया गया ।
मीणा समुदाय में उल्लेखनीय व्यक्ति
हरि द॑रवाल,प्रान्त अध्यक्ष,भोपाल,मध्य प्रदेश,कर्मचारी सघ
सुखदेव मीणा बैनाडा {मकठोट-टोडाभीम }
सुखदेव मीणा बैनाडा {मकठोट-टोडाभीम }
3 July 2017 at 20:44
chanda meena ki kul devi aashawari mata di khogang Jaipur
24 December 2017 at 15:43
सिर्रा ओ की कुलदेवी दातमाताजी मन्दिर जम्बा रामगढ में
7 April 2018 at 21:06
में मीणा हु
27 June 2018 at 20:36
I am rawat
28 June 2018 at 17:26
Isme meena samaj ka pura vistar nhi h hum pali or jalore me meena h unka vistar nhi pali or jalore me bhi meena h vo kha se aaye
28 June 2018 at 20:08
Jai gotam baba ri sa
28 June 2018 at 22:48
Khimaj mata bhinmal
29 June 2018 at 22:59
Meena tiger frosh jay gotam Baba ri sha
29 June 2018 at 23:03
Champalal02051995@gmail.com.com meena brother padae karo shavidhan hath me lo jay gotam Baba ri sha
5 July 2018 at 18:55
Proud full history of us ...salute of everyone
26 July 2018 at 13:22
Jai minesh .... Jai Bhim
2 August 2018 at 22:51
Hamara ithihaas itna gone kase bana raha..ye
6 August 2018 at 18:42
Khador gotra ke bare me ajtak koi lekh ya ghatana ki jankari ka abhav hai kyo?
6 August 2018 at 18:43
Khador gotra ki jankari nahi hai
13 August 2018 at 11:57
Excellent work on Meena history.. regards RDMEENA
19 August 2018 at 14:32
मीणा इतिहास के लिए बहुत अच्छा लेख लिखा सो आपको वेरी-वेरी धन्यवाद
22 August 2018 at 18:09
Very good bhai
3 September 2018 at 23:59
Proud to being a son of meena
8 September 2018 at 23:53
Nadla ki kul Devi kya h
13 September 2018 at 10:42
सेवड माता खोड़ा गोत्र की कुलदेवी हैं न कि ब्याडवाल
13 September 2018 at 10:45
सेवड माता खोड़ा गोत्र की कुलदेवी हैं न कि ब्याडवाल
18 September 2018 at 19:28
लिखने वाले को तहे दिल डोक ।
25 September 2018 at 00:57
Yad Ynim9 rh5h4g3 gn bv ye 6 get yr y3fx yu re tv g4f we ccg. We v6n8
2 October 2018 at 14:17
सुपर
3 October 2018 at 10:50
Humara itihaas btane ke liye aap ka Dil se danyawaad
12 October 2018 at 12:10
Stunning history of meena.
Thanks for historical knowledge...
12 October 2018 at 12:10
Super history.....
5 November 2018 at 18:21
Hlo meena aadivasi cast h kya
5 November 2018 at 18:22
Hlo meena aadivasi log h kya
5 November 2018 at 18:23
Bhai meena log adivase hote h kya
26 November 2018 at 18:05
Bainade gotta kuldeavi where are please get info
30 December 2018 at 22:31
Good line
7 January 2019 at 19:52
Me RAWAT rajput hu Mera name KHEVENDER SINGH CHOUHAN he hum OBC category me aate he ,aur Meena SC me kya rawat(Ajmer) ke aur shekawati ke Meena me sadi ke koi udaharan he kya?
19 January 2019 at 23:02
मीणा और मेर जाति दोनों अलग हे।मेरो का राज मेवाड़ मेरवाड़ा अजमेर जैसलमेर,गुजरात पंजाब हरियाणा में था। जबकि मीनाओ का जयपुर से बूंदी कि तरफ था। लेकिन आज मेर अलग अलग समुदाय में विभाजन हो गया हे।रावत,चिता, काठात,मेर मेहर(हाड़ोती)महेर(गुजरात) आदि सब मेर हे।
मेर मीणा भी मेर थे।लेकिन आरक्षण की वजह इन्होंने से सिर्फ मीणा ही लिखते है।
24 January 2019 at 21:32
Nice
30 January 2019 at 12:25
Meena Hindu hai .
Meena ek Kshatriya jati hai.
2 March 2019 at 19:23
Saale ye rajneeti hai
Jaise utrakhnd mai rajput aadiwasiyo mai jode gaye hai usi parkar meena jode gaye hai meena
2 March 2019 at 19:25
Nhi hai
2 March 2019 at 19:25
Nhi hai
2 March 2019 at 19:25
Nhi hai
2 March 2019 at 19:27
Thanks
2 March 2019 at 19:28
Mer kidar rahte hai
2 March 2019 at 19:28
Hh
2 March 2019 at 19:29
Hh
2 March 2019 at 19:29
Mer kidar rahte hai
2 March 2019 at 19:29
Thanks
11 May 2019 at 22:09
Hello brothers
2 June 2019 at 14:15
MEENA BROTHER👦
20 July 2019 at 23:18
I,m meena boy,
I,m self feeling lucky...
29 July 2019 at 21:43
"सीहरा राजवंश "की कुलदेवी दांतमाता मन्दिर,मांच गाँव,जमवारामगढ (जयपुर)
शिव चरण सीहरा गाँव-टीटोली
8 August 2019 at 10:58
Garai shin-chan bin karo Jai Hind
20 August 2019 at 10:19
Me bhi meena hu
5 September 2019 at 13:50
आशावरी माता जयपुर
12 September 2019 at 11:23
Meenao ka sabse bda ganv NAYABAS(SIKAR) H.Jha 10000 aabadi h...wha sare ek hi gotr ke h..JEPH...es ganv me koi dusri cast ka ek bi ghar nhi h..
14 September 2019 at 23:14
सीकर मे भूदौली गांव मे सभी कागोत गोत्र के मीणा भाई है केवल एक घर जुणदया का है।
14 September 2019 at 23:20
सीकर जिला मे गौरया वाली जीण माता सीकर के मीणाओ की कुल देवी है ।ऐसा लोगो का मानना है
26 September 2019 at 15:28
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...शानदार इतिहास मीणाओ का
30 October 2019 at 18:59
बहुत ही गौरव पुर्ण इतिहास
11 November 2019 at 16:10
मुझे गर्व है कि मैं मीणा हूं भगवान मुझे हर जन्म में मीणा समाज में जन्म दे
15 November 2019 at 02:39
पाली व जालोर के मिणाओ का इतिहास एक अलग ही है यह सच है कि इन्होंने राज नहीं किया लेकिन राज करने वालों को लुटा व मारा काटा जरुर है ऐसी कोई बालद (बंजारों का समूह) नही थी जिसको इन्ही मिणाओ ने न लुटा हो और बालद की सूरक्षा करने वाले क्षत्रिय कहे जाने वाले राजाओं के सिर कलम शायद ही न किये हो
इनका खोप राजाओं को नींद से जगा देता था
राजाओं ने इनको लगान वसूलने का काम दिया था क्योंकि राजाओं को मालूम था कि शेर की गुफा में जाकर उसके मुह से निवाला छिनना कोई सवा शेर ही छिन सकता है और वो मीणा ही थे
15 November 2019 at 02:50
मै यह नहीं कहता कि केवल पाली जालोर के मिणाओ का ही इतिहास है जबकि सभी क्षेत्रों में मिणाओ का खोप और राज्य भी थे
मेवाड़ पर मेर मिणाओ का राज्य था इसलिए प्राचीनकाल में मेवाड को मेदपाढ कहा जाता था बाद मे राजपूत राज्य बना
सभी राज्यों पर पहले मिणाओ का डंका बजता था
15 November 2019 at 02:52
15 नवम्बर 2019 का कम्मेंट पढो भाई
6 December 2019 at 19:13
Bad-goti (nandla) ki mata konsi hai.. pllzz btaoo
11 December 2019 at 10:25
जय मीणा समाज
13 December 2019 at 20:42
mer zyadatar gujarat me rhte he
21 January 2020 at 08:04
Jai soham...jai meena samaj.
21 January 2020 at 08:08
Jai soham.jai meena samaj. Manoj Kumar arya, anupshahr,bulandshahr, UP 9719637379
14 March 2020 at 22:12
Aaj samay Aa gaya hai Meena samaj ka jo history hai usko moukaparast
Shasko ne nast kar diya tha usko yuva peedhi ke samne laya jaye .
28 March 2020 at 10:47
भाईयो मुझे कोई बताएगा कि बैरवा भी मीना जाति का हिस्सा है
30 March 2020 at 18:29
DUMELA GOTRA KI KULDEVI MATA SATI DOONI RAJASTHAN ME HAI
10 April 2020 at 13:01
ध्याव णा की ध्यावण mata bassi
21 April 2020 at 11:51
Etihas ke sath sath aaj samaj me ekta ki jrutat h dosto vo aapni samaj bahut km h thanks!
23 April 2020 at 15:31
I am a Meena, so I am very proud to be a Meena. I feel proud to be a Meena.
24 April 2020 at 23:54
मीना जाति का इतिहास बहुत पुराना एवं गौरवशाली रहा है | यह एक क्षत्रिय एवं शासक जाति रही है |अंग्रेजों के शासनकाल में इस जाति को adivasi क्रिमिनल Caste में डाल दिया गया|इतिहास पढ़ें एवं अपने गौरवांवित हों!
25 April 2020 at 16:26
काफी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है अपना
6 May 2020 at 19:09
M bhi meena hu meena itihas govrwpuran raha h raj netaao ne hamara itihash chopaya h bhai hame jana hoga
6 May 2020 at 19:12
M bhi meena hu muje garv h cast pe
8 May 2020 at 13:26
N N सेहरा हूं
21 May 2020 at 10:49
मीणा साहब 👑👑
22 May 2020 at 11:41
मिना दो वंश है एक मिना और दूसरा मेर मिना दोनो अलग-अलग उत्पति है लेकिन अब मिल गये हैं । दोनो मछली से उतपन्न है लेकिन दोनो अलग-अलग वंश है दोनो मछली से पैदा होने पर मिना कहे गये लेकिन दोनो अलग-अलग वंश होने पर सब ईनहे ऐक ही वंश न मान ले ईसके लिए एक ने मिना के आगे मेर लगाया है ।
22 May 2020 at 11:43
यह मिना वंश आज भी राजपूत क्षत्रिय मै है लेकिन वह मिना की जगह अलग लिखते हैं ईसलीऐ पहचान नही होती है ।
26 May 2020 at 11:36
Jai minesh Dev jai Meena Sarkar Sunil Meena Bundi Rajasthan
2 June 2020 at 16:04
Sir ji rawat to upadhi hai.but muljati to meena hi hai na.
2 June 2020 at 16:06
I'm meena boy.from pratapgarh (Raj.)
7 June 2020 at 17:13
मुझे पढ़कर खुशी हुई।
19 June 2020 at 12:15
Mujhe Garv h Meena samaj par
11 July 2020 at 10:26
Beflawat gotra ki kuldevi kha he
14 July 2020 at 23:25
जारवाल गोत्र की कुल देवी के बारे में बताने की कृपा करें। और कहाँ स्थित है।
28 July 2020 at 12:22
रावत ही मीणा है
1 August 2020 at 09:58
कलासुआ गोत्र का इतिहास के बारे में बताये
11 August 2020 at 02:01
Bosdike meena st me aate hain
12 September 2020 at 01:13
बेफ्लावत गोत्र का इतिहास के बारे में बताए
13 September 2020 at 22:26
Meena sarkar
Meena ji
Rj34
3 December 2020 at 21:36
सच्चाई की मीणा और Meena यह अलग-अलग जाती है लेकिन कुछ राजनेताओं ने मिलकर आरक्षण की वजह से मीणाओं को और मीना को एक जगह मिला दिया है दोनों का इतिहास अलग अलग है अर्थात मीणा हमारे राजस्थान में कई अलग-अलग क्षेत्रों में निवास करते हैं जबकि मीना बाहर से आए हुए है इन लोगों ने आरक्षण का लाभ उठाने के लिए दोनों को एक ही बना दिया है जो कि यह गलत है आई एम सीताराम गुर्जर सच्चाई हमेशा कड़वा होता है सच्चाई कभी छुप नहीं सकता क्या यह लोग मीणाओं को सजा दे तो यह मीणा लेने के लिए तैयार है ओन्ली लाल के लिए सभी तैयार रहते हैं दोस्तों इसीलिए राजनेताओं ने इनके साथ खेला है इनकी जाती तो मीना समाज आज भी ही जगह है की जगह है उसको किसी प्रकार का लाभ नहीं मिला यह इतिहास राजस्थान का हे
21 January 2021 at 09:56
सीनम मीणाओ के बारे में कोई जानकारी हो तो साझा करें....
21 January 2021 at 09:57
सीनम मीणाओ के बारे में कोई जानकारी हो तो साझा करें....
13 April 2021 at 11:13
Bahut hi sahrniye karya
Meena jati ka itihas servshresta, goranwit karne wala.....great
20 June 2023 at 20:04
NCERT me kab aayegii ye history kb tk ye history dabbi rhegiii
Us rajput besahara maa ke lal duhle ray ke dhokho ko kb btaya jayega or kb vo kachwah jo gadarii kiya or muglo ke Jake chipk gya vo vo sabko kb pta chlegaa
Muje is bat ka dukh nhi ham har gye iss bat ka dukh hai jise pala usne dhokha diya dokha nhi milta to aaj Amer ka itihaas kbhi gulami nhi shta kachwah muglo ke gulam bne firte the meena hote to yha bhi Maharana Pratap jese raja niklte or Amer ki aan bhan Shan ki raksha krte
Sabhi ko ek hoke rhna hoga or poltics me apno ka sath deke sab ko ekjhut kro or CM bnne ki rah p chlo ❤️❤️❤️��
22 April 2024 at 08:56
पुलवामा में मीन भगवान मन्दिर
22 April 2024 at 08:57
फुलवाडा में मीन भगवान मन्दिर
5 June 2024 at 09:54
घुणावत गोत्र की कुलदेवी मोरा माता है जो घूमना गांव के माधोगढ़ बांध के पास पहाड़ों के बीच में विराजमान है
15 November 2024 at 10:08
Jai minesh
28 January 2025 at 18:22
मीना जाति में बालोत गोत्र का विवरण करो