#आरक्षणऔरसमाज
अक्सर गांव शहरों मे बोला जाता है मीणा हो , रिजर्वेशन मिला हुआ है नौकरी तो लग ही जायेगी । ज्यादा तो नही बोलेगे क्योंकि तरह तरह की आत्माओं का निवास है आभासी दुनियाँ मे , ।
फिर भी ..,,,,.,,भारत मे 2% रोजगार ही सरकारी नौकरी मे है और 98% रोजगार प्राईवेट सेक्टर मे है तो महान ईष्यालुऔ या आपसे कहे , देश मे ठेकेदारी का पाठ पढाने बालो , ये 98% रोजगार मे कोनसा आरक्षण है । और हम हमारा हक संविधान के अनुसार ही तो ले रहे है , आप ही तो रोज डकराते हो , देश संविधान से चलेगा ।
खैर छोडो सब देश की ठेकेदारी हम क्यों करे, ये बताऔ मीणाऔ को ही मिला है क्या आरक्षण ।ये sc, obc क्या ताश खेलते है आरक्षण लेकर ।
मीणा रिस्क लेते है रिस्क । साल भर मेहनत मजदूरी करके जो बचता है सब पढाई मे , भैंस का दुध , घी बेचकर लगाऔ पढाई मे , यहाँ तक माँ के गहने और बाप की जमीन बेचकर पढते है मीणा । फिर जाकर जयपुर ,सबाईमाधौपुर, कोटा, अलवर , दौसा मे तुम्हारे कमरों का किराया चुकाते है । अरे हम जुआ खेलते है जनाब , चाहै खेती हो या पढाई , लग गये तो ठिक नही तो बेचो जमीन , और मौसम ठिक रहा तो पैदा हो गयी , नही हुई तो कटाऔ भैंस को कसाई पर ।
क्या है हमारे पास गाँव , मिट्टी , 8 घंटा बिजली , वो भी रोते रोते , टूटी सड़क , टूटे सरकारी स्कूल , । और आपके पास चमचमाते स्कूल , चमचमाती सड़क , पानी , 24 घंटे बिजली , पार्क , तुम्हारा मिडिया , तुम्हारा जज , तुम्हारी सरकार , तुम्हारे नेता ।
सब सुविधा तो है तुम्हारे पास ।
बच्चे हमारे भी बैठे बैठे कोस सकते है । लेकिन घर से 3000 किलोमीटर दूर गैगमेन की नौकरी कर लेते है । मानसिक तनाव , रेलवे की लापरवाही से कभी कभी जान से हाथ भी धो बेठते है । मंदिरों मे पुजारियो को सैलेरी कितनी मिलती है जनाब , कभी बता तो दिया करो । और ये तुम्हारे मिडिया मे बैठे हुए बिकाऊ पुरूष और एक किलो पाऊडर पोते महिला पत्रकार हमे बतायेगी , आरक्षण देश के लिए घातक है। कभी मिलों हमारी गाँव की माँ बहनो से शादी पर भी 10 रूपये की क्रिम नसीब नही होती मेडम पत्रकार ।
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हमारी माँ बहण ये नही जानती पेड या स्टेपनरी क्या होता है मासिक धर्म के समय खराब कपड़ा आज भी इस आधुनिक भारत मे यूज करती है ।
,और ये सच्चाई है समाज के करोड़ पति , और गरीबों का हक मारने बाले खून चूसाऔ ।
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काग्रेंस , बीजेपी का डर दिखाकर , की इनकी सरकार आने पर आरक्षण खत्म कर देगी वोट ले लेती है और अब तक किसी नेता को राष्ट्रीय लेवल पर ठोस निर्णय लेने बाला पद ना दे सकी ।
और बीजेपी के नागपुर गैंग और कुछ नेता आकर बोल देते है आरक्षण देश को खोखला कर रहा है , महाराज खोखला तो आपने कर रखा है धर्म , राम मंदिर , हिन्दू मुस्लिम करवाकर , तुम्हारे बाप ने दिया है की आरक्षण । कभी इंसाफ की भी तो बात कर लिया करो साहब ।
तत्कालीन भारत सरकार ने 1953 में काका कालेलकर आयोग की नियुक्ति की घोषणा की थी । इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति(संशोधन) विधेयक 1956 लोकसभा में पेश किया जिसमें अन्य जातियों के साथ-साथ राजस्थान की मीणा जाति का नाम भी जनजाति की सूची में रखा गया। संसद ने इस विधेयक को यथावत पास कर दिया जिसको भारत के राष्ट्रपति ने 25/09/1956 को स्वीकृति दी थी । अब महाराज ये तो संविधान मे लिखित है ।
पहाड़ों की जिंदगी जिकर , कुछ जज्वा लेकर मैदान मे उतरे ही है की आप तो जलने लग गये । मतलब हम जिंदगी भर तुम्हारे चपरासी और कमाकर पेट भरने की खान मात्र ही बने रहते तो ठिक था । बहुत दुख देखे महाराज हमारे बढे बुजुर्गो ने , अब तो शांति से जी लेने दो ।
तुम्हारे शरीर से परफ्यूम की खुशबू आती है और हमारे माँ-बाप आज भी तीन दिन मे नहाते है , क्या बराबरी की बात करते हो ।
कभी आऔ आमने सामने डिवेट मे साहब ,
हो सकता है हम सरकारी मे पढे हो , ग्यान कम हो,लेकिन जवाब ऐसा देगे की शरीर और थूथरे पसीना पौछने के लिए रूमाल नही, तौलिया लाना पडेगा ।
मेघराज मीणा नरौली डांग भाईसाहब की कलम से.............