भविष्य में सरकारी नोकर:- #RIP

भविष्य_में_सरकारी_नोकर:- #RIP
【कुछ साल पहले मैंने सुना था अमेरिका में फ़ेडरल सर्विस शौकिया लोग जॉइन करते है सुबह जॉइन की शाम को छोड़ दी 😢】
आज से मोटा मोटा 10-15 साल पहले पटवारी मामा हुआ करते थे ,तसीदार तो काका और कलेक्टर माई-बाप 
{{पटवारी से नकल लेने में महीनों लगते थे अब चंद मिनट या फिर एक दिन}}
{{ पहले कलेक्टर बोलते ही गांव के लोग प्राण त्यागने की हालत हो जाती थी ,अब नत्था भी अपनी बुलन्द आवाज के साथ रावण की तरह हँस सकता है । अब BP कलेक्टर का बढ़ता है }}
पर 2005 के बाद से सूचनाक्रांति ने इसा बदला की पेड़ पर लटकर/चढ़कर BSNL की SIM से एक बार नंबर डायल करना इसा लगता था कि #महीनों की मस्कत से मिली सिम का लेना सार्थक हो गया ओर अब मोक्ष पक्का है 😊😊
....>>>ओरकुट>>>चैट>>>ब्लॉग>>>yahoo चैट ओर ईमेल>>गूगल बाबा >>>फेसबुक>>>व्हाट्सapp
इन सब ने वह बदल दिया जो 1950 से 2005 तक आमआदमी के पास नही पहुचा । सरकारी मामा ओर दामाद अब नोकर बनने की तरफ है । ...10 साल में इतना बदला तो 2020 में देखते है सरकारी नोकर कही कुलु का नोकर न हो जाये !
>>>>>आज आप हम सब सरकारी नोकरी लगने पर बधाई देते है ,वह दिन दूर नही जब मातम में #RIP का इजहार कर रहे होगे** 😊😊
>>>>>बदलाव तो प्रकृति का नियम है बस उसकी पहुच आमजन तक पहुचने में देरी होती है क्योकि माध्यम होना जरूरी है ओर डिजिटल 【0 ,1】 इसका माध्यम बन गया है इसी लिये हमें बदलाव बहुत तेज लग रहे एवम मिल रहे है ।
{ सर्कुलर ,ऑर्डर्स जब व्हाट्सएप पर आ जाते है ,पहले प्रमोशन ओर ट्रांसफर के फैक्स तार आते थे}

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दहेज व्यंग कथा

#दहेजव्यंगकथा

कछु नही है रे पटेल , एक रूपया की भी तय नही है ज्यादातर लोग यही बोलते है , लेकिन फिर 10 देने पर लाडी इसलिए नही भेजते की 2 लाख कम दिये है । 
बडा अजीब है ये भी जो समाज के ठेकेदार दहेज रोकने के लिए बडी बडी मीटिंग करते है वो ही दहेज के चक्कर मे अपनी बहु छोड़ देते है । 
हाहाहाहा हाहाहाहा क्यो नही पोस्ट डालेंगे भाईसाहब फेसबुक पर की फलाणा गांव के लड़के ने एक रूपये मे की शादी । छोरा मास्टर , छौरी मास्टरणी । जिंदगी भर कमाकर देगी । क्या करेगा दहेज लेकर । 
साहब बहुत कम आदमी मिलेगा जिसने दिये हुए पैसे को बापस किया है या नही लिया है । हम तो जब माने 15 लाख से भरे थाल को बापस कर दे, की बियाई जमीन बिक जायेगी , जरूरत नही है , ।
खैर मजे बाली बात ये भी है घरवाले अक्सर बोलते है सभी के बोलते है पर शर्म से सभी कबूल ना करेंगे - की बेटा कछु भी लग जा , 5-7 लाख तो बेटो घर बेठे दे जायेगो । मतलब बच्चा भी दहेज और सुन्दर पढी लिखी छौरी के चक्कर मे ही पढ़ रहा है । 
गजब के नमूने है मिलणी कू भर ली, कन्यादान तो अलग से होगा , गेणो मे तो कछु ना लाऊ , तू तो मगंल सूत्र को अगुठी लिज्यौ । 
चाहे हत्या हो या आत्महत्या या घरेलू झगड़ा या कोई भी कारण , खबर ये आयेगी अखबार मे - दहेज प्रताड़ित ने दी जान । दहेज लोभी ने फलाणी को घर से बाहर निकाला । 
बैसे भई कभी कभी इस दहेज के चक्कर मे मासूम बारातियो की बाट लग जाती है क्योंकि धणी की स्पस्ट खेण है आपान कू तो 15 नगद चान्जै । तेरे जची इसी कर बारात की व्यवस्था । अब बेटा बाराती बण गिया भैराती । 
हाहाहाहा बिस्या बीच बाडा कू तो हमेशा ही दूसण मिल्यौ है , मजा मे बा ही रियो है देख भई या तो छौरा को डोकरो या रियो छौरी को डोकरो । दोनू धणी बतडालौ , जच जाय तो कर लिज्यौ , आपान कू दूसण मित दिज्यौ पाछै । 
कभी कभी आपसी दोनू जणा न की लडाई मे गलती सू , आदमी ने ज्यादा सी खह दी , लुगाई मर गी । तो बेटा लगाऔ दहेज को केस । माँ-बाप और बहणा भी जाऔ जेल । च्यौ क केस तो दहेज को ही लगेगौ , और सबपे । 
और आजकल तो मजा का चलन चल गया , सामने बाला भी जाणता है 1100 रूपये तो धर दिया थडा पे और 11 लाख घर बुलाकर अटेची मे गिणा दिया हाहाहाहा । हो गियो दहेज बंद । पटेल भी राजी , समाज का ठेकेदार भी और दहेज बिरोधी भी । 
बिस्या एक बात और है या दहेज को कोडो आपणा समाज मे ही कुनी सब जगह है । विहार , यूपी , तमिलनाडु , केरल , आन्ध्र, । साऊथ मे सोना और नोर्थ मे दोनो । 
जो ये थडा पर 1100 और चुपके से 11 लाख बाली स्किम बहुत पुरानी है ये पहले जनरल कास्ट बाले अपनाते थे आज भी जारी है बस हमने देर से पकडी ।

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आरक्षण और समाज

#आरक्षणऔरसमाज
अक्सर गांव शहरों मे बोला जाता है मीणा हो , रिजर्वेशन मिला हुआ है नौकरी तो लग ही जायेगी । ज्यादा तो नही बोलेगे क्योंकि तरह तरह की आत्माओं का निवास है आभासी दुनियाँ मे , । 
फिर भी ..,,,,.,,भारत मे 2% रोजगार ही सरकारी नौकरी मे है और 98% रोजगार प्राईवेट सेक्टर मे है तो महान ईष्यालुऔ या आपसे कहे , देश मे ठेकेदारी का पाठ पढाने बालो , ये 98% रोजगार मे कोनसा आरक्षण है । और हम हमारा हक संविधान के अनुसार ही तो ले रहे है , आप ही तो रोज डकराते हो , देश संविधान से चलेगा । 
खैर छोडो सब देश की ठेकेदारी हम क्यों करे, ये बताऔ मीणाऔ को ही मिला है क्या आरक्षण ।ये sc, obc क्या ताश खेलते है आरक्षण लेकर ।
मीणा रिस्क लेते है रिस्क । साल भर मेहनत मजदूरी करके जो बचता है सब पढाई मे , भैंस का दुध , घी बेचकर लगाऔ पढाई मे , यहाँ तक माँ के गहने और बाप की जमीन बेचकर पढते है मीणा । फिर जाकर जयपुर ,सबाईमाधौपुर, कोटा, अलवर , दौसा मे तुम्हारे कमरों का किराया चुकाते है । अरे हम जुआ खेलते है जनाब , चाहै खेती हो या पढाई , लग गये तो ठिक नही तो बेचो जमीन , और मौसम ठिक रहा तो पैदा हो गयी , नही हुई तो कटाऔ भैंस को कसाई पर । 
क्या है हमारे पास गाँव , मिट्टी , 8 घंटा बिजली , वो भी रोते रोते , टूटी सड़क , टूटे सरकारी स्कूल , । और आपके पास चमचमाते स्कूल , चमचमाती सड़क , पानी , 24 घंटे बिजली , पार्क , तुम्हारा मिडिया , तुम्हारा जज , तुम्हारी सरकार , तुम्हारे नेता । 
सब सुविधा तो है तुम्हारे पास । 
बच्चे हमारे भी बैठे बैठे कोस सकते है । लेकिन घर से 3000 किलोमीटर दूर गैगमेन की नौकरी कर लेते है । मानसिक तनाव , रेलवे की लापरवाही से कभी कभी जान से हाथ भी धो बेठते है । मंदिरों मे पुजारियो को सैलेरी कितनी मिलती है जनाब , कभी बता तो दिया करो । और ये तुम्हारे मिडिया मे बैठे हुए बिकाऊ पुरूष और एक किलो पाऊडर पोते महिला पत्रकार हमे बतायेगी , आरक्षण देश के लिए घातक है। कभी मिलों हमारी गाँव की माँ बहनो से शादी पर भी 10 रूपये की क्रिम नसीब नही होती मेडम पत्रकार । 
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हमारी माँ बहण ये नही जानती पेड या स्टेपनरी क्या होता है मासिक धर्म के समय खराब कपड़ा आज भी इस आधुनिक भारत मे यूज करती है । 
,और ये सच्चाई है समाज के करोड़ पति , और गरीबों का हक मारने बाले खून चूसाऔ ।
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काग्रेंस , बीजेपी का डर दिखाकर , की इनकी सरकार आने पर आरक्षण खत्म कर देगी वोट ले लेती है और अब तक किसी नेता को राष्ट्रीय लेवल पर ठोस निर्णय लेने बाला पद ना दे सकी । 
और बीजेपी के नागपुर गैंग और कुछ नेता आकर बोल देते है आरक्षण देश को खोखला कर रहा है , महाराज खोखला तो आपने कर रखा है धर्म , राम मंदिर , हिन्दू मुस्लिम करवाकर , तुम्हारे बाप ने दिया है की आरक्षण । कभी इंसाफ की भी तो बात कर लिया करो साहब । 
तत्कालीन भारत सरकार ने 1953 में काका कालेलकर आयोग की नियुक्ति की घोषणा की थी । इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने अनुसूचित जनजाति(संशोधन) विधेयक 1956 लोकसभा में पेश किया जिसमें अन्य जातियों के साथ-साथ राजस्थान की मीणा जाति का नाम भी जनजाति की सूची में रखा गया। संसद ने इस विधेयक को यथावत पास कर दिया जिसको भारत के राष्ट्रपति ने 25/09/1956 को स्वीकृति दी थी । अब महाराज ये तो संविधान मे लिखित है । 
पहाड़ों की जिंदगी जिकर , कुछ जज्वा लेकर मैदान मे उतरे ही है की आप तो जलने लग गये । मतलब हम जिंदगी भर तुम्हारे चपरासी और कमाकर पेट भरने की खान मात्र ही बने रहते तो ठिक था । बहुत दुख देखे महाराज हमारे बढे बुजुर्गो ने , अब तो शांति से जी लेने दो । 
तुम्हारे शरीर से परफ्यूम की खुशबू आती है और हमारे माँ-बाप आज भी तीन दिन मे नहाते है , क्या बराबरी की बात करते हो । 
कभी आऔ आमने सामने डिवेट मे साहब , 
हो सकता है हम सरकारी मे पढे हो , ग्यान कम हो,लेकिन जवाब ऐसा देगे की शरीर और थूथरे पसीना पौछने के लिए रूमाल नही, तौलिया लाना पडेगा ।

मेघराज मीणा नरौली डांग भाईसाहब की कलम से.............

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